Thursday, 28 December 2017

प्रेम चाहता क्या है

आखिर प्रेम चाहता क्या है ?
चाहता है रहना सदा साथ 
तुम्हारे होंठो पर मुस्कान बनकर
चाहता है रहना सदा साथ 
कानो में सुरीले गीत बनकर
चाहता है रहना सदा साथ
नथुनों में मनभावन खुसबू बनकर
चाहता है रहना सदा साथ
कंठ में कोयल सी आवाज़ बनकर 
चाहता है रहना सदा साथ
हृदय में अप्रीतम चाहत बनकर
चाहता है रहना सदा साथ
तुम्हारी मांग में सिन्दूर बनकर
चाहता है रहना सदा साथ
तुम्हारी रगो में लहू बनकर

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !