Friday 1 December 2017

बेमौसमी बारिश

महसूस किया है 
तुमने कभी की 
कठोर सा दिखने 
वाला पुरुष भी 
भीगा करता है, 
उस धुप भरी 
दोपहरी में भी ,
जब कभी तुम 
उसे अकेला छोड़ 
कर चली जाती हो, 
तब होती है बेमौसमी
बारिश वंहा जहा ,
कुछ पल को तुम 
ठहरी थी उसके साथ, 
जिस दिन देखोगी तुम  
उसे उस बारिश में 
भीगते उस दिन, 
जा नहीं पाओगी 
तुम छोड़ कर 
उसे अकेला यु ;

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !