Friday 22 December 2017

सुनहरे रंगो के ख्वाब

यादों को सुनहरे रंगो 
से रंगने के लिए 
वो ख्वाब भी देखे 
जिनका टूटना पहले 
से ही सुनिश्चित था ;
ये जानते हुए भी की 
ये ख्वाब ही बनेंगे 
एक दिन सबसे 
बड़ी तकलीफ फिर भी 
देखे वो ख्वाब और देखते हुए
जी भर कर हंसा भी था  
उस धुंधली सी तस्वीर
के साथ ये जानते हुए की 
सच की धरातल पर तुम 
कभी नहीं होगी साथ मेरे 
फिर भी साथ पाना चाहता था 
तुम्हारा चाहे मिले वो ख्वाबों 
में ही फिर भी अपनी यादों को
सुनहरे रंगो से रंगने के लिए वो 
ख्वाब भी देखे जिनका
टूटना पहले से ही सुनिश्चित था ;

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !