निकला था मैं
खुद को तलाशने
दब के रह गया हु;
ज़िम्मेदारियों
के बोझ तले;
निकला था मैं
हंसी को तलाशने
डूब के रह गया हु
आंशुओं के समंदर में;
निकला था मैं
मलहम खोजने
वक़्त के खंजर
के घाव से लथपथ
पड़ा हु; कुछ यु की
ये मैं हु या कोई और
खुद को पहचान
नहीं पा रहा हु;
निकला था मैं
खुद को ढूंढने
मैं खुद ही खो गया हु;
अब तुम मुझको
ढूंढ लेना और शायद
प्यासा मिलु तो तुम
मेरी प्यास बुझा देना !
खुद को तलाशने
दब के रह गया हु;
ज़िम्मेदारियों
के बोझ तले;
निकला था मैं
हंसी को तलाशने
डूब के रह गया हु
आंशुओं के समंदर में;
निकला था मैं
मलहम खोजने
वक़्त के खंजर
के घाव से लथपथ
पड़ा हु; कुछ यु की
ये मैं हु या कोई और
खुद को पहचान
नहीं पा रहा हु;
निकला था मैं
खुद को ढूंढने
मैं खुद ही खो गया हु;
अब तुम मुझको
ढूंढ लेना और शायद
प्यासा मिलु तो तुम
मेरी प्यास बुझा देना !
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