मुखर प्रेम !
एक नाम होंठों से
फिसला और तैरने
लगा हवा में !
एक स्वप्न आँखों में
छलका और ठहर
गया भावों में !
ठीक उसी पल में
मैंने जाना कितना
मुश्किल है !
प्रेम को अभिव्यक्त
कर पाना हु-ब-हु यूँ
शब्दों में !
कितना मुश्किल है
प्रेम के आगे यूँ मुखर
हो पाना !
पर अगर दूसरा कोई
विकल्प हो ही नहीं
जीवन में !
तो कितना आसान
हो जाता है अभिव्यक्त
करना होकर मुखर
प्रेम में !
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