Sunday, 2 February 2020

मुखर प्रेम !


मुखर प्रेम !

एक नाम होंठों से 
फिसला और तैरने 
लगा हवा में !
एक स्वप्न आँखों में
छलका और ठहर 
गया भावों में !
ठीक उसी पल में 
मैंने जाना कितना 
मुश्किल है !
प्रेम को अभिव्यक्त 
कर पाना हु-ब-हु यूँ 
शब्दों में !
कितना मुश्किल है 
प्रेम के आगे यूँ मुखर 
हो पाना !
पर अगर दूसरा कोई
विकल्प हो ही नहीं 
जीवन में !
तो कितना आसान 
हो जाता है अभिव्यक्त
करना होकर मुखर 
प्रेम में !    

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !