आरती के स्वर ?
क्या रोज ही सुबह आरती के स्वर
तुमसे खुद दुरी बना लेते है या
तुम बनाती हो दूरियां उनसे ?
सुबह की आरती में भाव भरो
कहते है भगवान चीज़ों के नहीं
बस भावों के भूखे होते है ?
तो फिर क्यों नहीं होती तुम्हारी
की हुई हर प्रार्थना पूरी बोलो?
आज सच सच बताओ ना मुझे
क्या सच में तुम करती हो प्रार्थना
उन्ही भावों के साथ जो भाव देखता हूँ ?
मैं अक्सर तुम्हारी उन दोनों आँखों
में हम दोनो के साथ पाने का ?
क्या रोज ही सुबह आरती के स्वर
तुमसे खुद दुरी बना लेते है या
तुम बनाती हो दूरियां उनसे ?
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