Saturday 22 February 2020

काँप गई मैं !


काँप गई मैं !

जब देखा आईना
तो देर तक हंसी मैं   
दुनिया को जब 
करीब से देखा 
तो काँप गई मैं
मेरे सर से जब 
जब गुज़रा पानी 
तो काँप गई मैं 
वो जब तक रहा 
रूबरू मेरे तब तक 
उसकी कद्र बिलकुल 
ही ना कर पाई मैं  
जब उस ने दूर 
जाने की ठानी 
तो काँप गई मैं ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !