तेरी पाक निगाहें !
एहसास तेरी पाक
निगाहों का मेरी सर्द
सी निगाहों से इस कदर
मिला कि फिर मैं इस सारी
कायनात को पीछे छोड़कर
सिर्फ तेरी उन पाक निग़ाहों
में ही मशगूल हो गया !
तेरे दिल के पाक
साफ़ आईने में जब
देखा मैंने तसव्वुर अपना
तब सारे ज़माने की मोहब्बत
का हसीं एहसास भी जैसे फिर
अधूरा अधूरा सा हो गया !
मैंने जब सुनी धीमी धीमी
रुनझुन तेरे पांव में खनकती
उस पायल की तब मंदिर में
बजती हुई घंटी का पावन
एहसास भी जैसे निरर्थक
सा हो गया !
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