Sunday 9 February 2020

इज़हार !


इज़हार !

मैंने सुना है बोलते अक्सर  
तुम्हारी इन दोनों आँखों को ;
तब भी जब तुम नहीं थी , 
मेरे सामने बस मैं था और थी 
ये दो बोलती तुम्हारी आँखें ;
उन दोनों ने ही तो किया था 
सबसे पहले इकरार मेरे प्रेम का 
वो भी तुमसे बिना ही पूछे ;
और मैंने मान लिया था , 
उसके इकरार को ही प्यार ;
पर मुझे कहाँ पता था कि 
तुम करोगी मुझे प्यार यूँ 
बर्षों इतना परखने के बाद ;
जबकि तुम्हारी इन दोनों 
आखों में मेरी रूह आज भी 
ठीक वैसे ही मचलती है ;
जैसे वो मचली थी उस पहले 
दिन जब तुम नहीं थी सामने 
मेरे बस मैं था और थी वो दोनों  
बोलती तुम्हारी आँखें ;  
और हाँ मुझे पता है हर एक 
रूह की किस्मत में कहा लिखा 
होता है यूँ ही किसी ना किसी 
कि आँखों में मचलना !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !