बाँहों के घेरे में !
मेरी चाहत है...
तुम्हारी बाँहों की गोलाइयों में
समाये हुए ज़िन्दगी के दिए तमाम
दर्दो से निज़ाद पाने की !
मेरी चाहत है...
मौत की घनी ख़ामोशी को भी
तुम पर लिखी दो चार प्रेम
कविता सुनाने की !
मेरी चाहत है...
तुम्हारी इन्ही बाहों में रहकर
एक बार फिर से उस छोटे से
प्रखर को जीने की !
मेरी चाहत है...
तुम्हे उस माँ के सामने गले
लगाने की जिनके लिए तुम
आज तक नहीं निभा पायी हो
अपने वो वादे जो तुमने किये थे
मुझसे प्रेम कर के !
मेरी चाहत है...
बस चाहत है और चाहत पूरी हो
ये भी तो जरुरी नहीं ना क्योंकि
ये बस मेरी चाहत है !
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