वज़ूद !
प्रेम हूँ मैं
वैसे तो मेरा
अस्तित्व बहुत
ही बड़ा है ;
पर अगर
सच कहूँ तो
डर जाता हूँ ;
कभी कभी
सच्चाई जानकर ,
मेरी हस्ती बहुत
छोटी है एक तेरे
जज्बे से ही मैं हूँ ;
केवल तेरे दिल
का वो जज्बा
जो मुझे कभी
ईश्वर के समीप
खड़ा कर देता है ;
और कभी मेरा
पूरा का पूरा वज़ूद
तेरे दिल के दरवाज़े
पर पनाह पाने को
भूखे प्यासे ही
तड़पता रहता है !
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