Sunday, 21 July 2019

अलौकिक प्रेम !


अलौकिक प्रेम !

कैसे लौकिक इंसान का 
लौकिक प्रेम भी अलौकिक
हो जाता है ;  
वो सारे सितारे जो इतनी 
दूर आसमां की गोद में  
टिमटिमाते हुए भी ;
गवाह बन जाते है 
उन प्रेमी जोड़ियों 
के जो सितारों के 
इतने दूरस्थ होने 
के बावजूद भी ;
उनकी उपस्थिति को 
अपने इतनी निकट 
स्वीकारते है की ;
अपनी हर बात को  
एक दूजे के कान में 
फुसफुसाते हुए कहते है ;
वो सितारे जो आसमां
की गोद में अक्सर ही 
टिमटिमाते रहते है ;
वो ही इन प्रेमी जोड़ों 
के प्रेम के अलौकिक 
गवाह बन जाते है ;
इस लोक के प्रेम को 
अलौकिक प्रेम का  
दर्जा दिलाने के लिए !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !