Sunday, 28 July 2019

बेजुबान ख़ामोशी !


बेजुबान ख़ामोशी !

तुम्हारा दिया सबकुछ 
बचा कर रखा है मैंने 
एक सिर्फ तुम्हारे लिए !
कुछ आधी अधूरी धुनें 
कुछ पूरी पूरी सिसकती 
हुई सी आवाज़ें !
कुछ कदम एक ही जगह 
कब से ठहरे हुए है ! 
कुछ आँसुओं की बूंदें 
कुछ उखड़ती हुई सी 
सांसें और कुछ आधी 
अधूरी कवितायेँ !
कुछ तड़पते से एहसास 
कुछ बेजुबान ख़ामोशी 
कुछ चुभते हुए से दर्द !
तुम आओ अब मुझसे 
ये नहीं संभलते अकेले 
आकर सम्भालो इनको !  
जो दिया था तुमने मुझे
वो सबकुछ बचा कर रखा है 
मैंने एक सिर्फ तुम्हारे लिए !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !