मेरी कायनात !
चाँद के चेहरे से
बदली जो हट गयी
रात सारी फिर मेरी
आँखों में ही कट गयी
छूना चाहा जब तेरी
उड़ती हुई खुशबू को
सांसें मेरी तेरी ही
साँसों से लिपट गयी
तुमने छुआ तो रक्स
कर उठा बदन मेरा
मायूसी सारी उम्र की
एक पल में छंट गयी
बंद होती और खुलती
तेरी पलकों के दरम्यान
ए जान ए जाना मेरी
कायनात सिमट गयी !
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