Friday 19 July 2019

इश्क़ है !

इश्क़ है;
जागते-जागते खोये रहना और;
सोते-सोते जागते रहना !
और मोहब्बत है;
सोते हुए की नींदों में भी;
अपनी मौजूदगी दर्ज़ करवाकर उसे होश में ला देना !
इश्क़ है;
सब-कुछ अपना होकर भी;
उन सभी पर अपना अधिकार खो देना!
और मोहब्बत है;
सब -कुछ पराया होने के बाद भी;
उसे अपना बनाकर उसी पराये का विस्तार करते रहना !
इश्क़ है;
जिसने हर बार तुम्हारे भरोशे को तोडा हो;
उसी की आँखों में एक अश्क़ की बून्द देखकर,
उसी पर एक बार फिर से वही भरोषा करना !
और मोहब्बत है;
उसी टूटे हुए भरोषे को फिर से;
एक अच्छे जुलाहे की तरह बुनना जिसे देख कर 
गांठ लगी होने का अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सके !
इश्क़ है;
बंद आँखों से अपनी प्रियतमा से ठीक वैसे ही बात करना;
जैसे वो अभी-अभी उसके सामने आकर बैठी हो !
और मोहब्बत है;
दूर बैठे अपने आशिक़ को ये एहसास भी ना होने देना;
की विरह की उसी वेदना में वो भी जल रही है !
इश्क़ है;
सिलवटों से भरे बिस्तरों में,
अपनी प्रेयषी की खुशबू  को ढूँढना !
मोहब्बत है;
उन्ही सिलवटों में अपने जिस्म 
की बेकरारियाँ छोड़ जाना !
इश्क़ है;
पल-पल टूटकर;
टूटे हुए खुद को खुद-ब-खुद जोड़ना !
मोहब्बत है;
टूट-टूट कर जुड़े उस स्थूल को अपने स्पर्श से;
जाबित कर उसी से शीला भेदन करवा लेना !      
इश्क़ है;
खुद को पल-पल नरक में झोंक कर 
आने वाले पल में स्वर्ग की कामना रखना !
मोहब्बत है;
स्वर्ग और नरक की परिभाषा को ताक  पर रख कर 
मरते दम तक चाहते रहने की प्यास जगा देना !
इश्क़ है;
दो और दो चार आँखों से 
देखा गया सिर्फ एक सपना !
मोहब्बत है;
उस एक अजनबी के सपने को साकार 
करने के लिए दुनिया की सारी दहलीज़ों को लाँघ आना !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !