Monday, 1 July 2019

इश्क़ की ख़्वाहिशें !

इश्क़ की ख़्वाहिशें !

तुम्हारे हृदय पर  
मज़बूरियों ने जो 
घाव कर दिए है ! 

उन पर अब मैं 
मरहम लगा देना 
चाहता हूँ !

किसी भी क़ीमत 
पर लौटना चाहता
हूँ !
  
तुम्हे तुम्हारे सपने 
जिन पर अब कभी 
प्राकृतिक और अप्राकृतिक 
हादसों का भी साया  
ना पड़ सके ! 

अब तुम्हारे इरादों को 
इतना फौलादी कर देना 
चाहता हूँ !

कि वो इरादे चट्टानों 
का भी सीना फाड़ 
बंद हुए सभी रस्ते 
खोल सकने में सक्षम
हो सके !

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !