इश्क़ की ख़्वाहिशें !
तुम्हारे हृदय पर
मज़बूरियों ने जो
घाव कर दिए है !
उन पर अब मैं
मरहम लगा देना
चाहता हूँ !
किसी भी क़ीमत
पर लौटना चाहता
हूँ !
तुम्हे तुम्हारे सपने
जिन पर अब कभी
प्राकृतिक और अप्राकृतिक
हादसों का भी साया
ना पड़ सके !
अब तुम्हारे इरादों को
इतना फौलादी कर देना
चाहता हूँ !
कि वो इरादे चट्टानों
का भी सीना फाड़
बंद हुए सभी रस्ते
खोल सकने में सक्षम
हो सके !
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