Saturday 20 July 2019

रिश्तों का कारवां !

रिश्तों का कारवां !

एहसासों की पगडंडियों पर 
रिश्तों का कारवां उम्मीदों के 
सहारे ही आगे बढ़ता है ! 
लेकिन जिस दिन ये एहसास 
कमजोर पड़ने लगते है उस 
दिन से ही उम्मीदें स्वतः ही 
दम तोड़ने लगती है ! 
और ज़िन्दगी की वो ही 
पगडंडियां जो कारवों से 
भरी रहती है वो उमीदों 
के रहते हुए भी अचानक 
एक दिन सुनसान नज़र 
आने लगती है ! 
और ये उम्मीदें जो दबे 
पांव आकर रिश्तो की डोर 
पर हावी हुई रहती है 
वो फिर एक दम सें 
डगमगाने लगती है !
लेकिन जिन रिश्तों की 
डोर बुनी होती है मतलब 
के धागों से वो टूट जाती है !  
और जिन रिश्तों की डोर 
होती है बुनी विश्वास के 
अटूट धागों से वो डोर उम्मीदों 
का बोझ उठा लेती है ! 
उन सभी रिश्तों की उमीदों 
का और रिश्तों की डोर को 
टूटने से बचा लेती है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !