सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ...धरा ने आज नया रूप धरा है
लगता है आज फिर सांझ ढले
सूरज धरा से बतलाने वाला है
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ...धरा ने आज नया रूप धरा है
लगता है भोर भये आज फिर से
सूरज धरा के मन को भाया है
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ...धरा ने आज नया रूप धरा है
सांझ ढले सब ने उसे बिसराया ...
धरा ने तब उसे गले लगाया है
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ...धरा ने आज नया रूप धरा है
लगता है आज दोनों के मिलन ...
की बेला आने वाली है
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ...धरा ने आज नया रूप धरा है
लगता है जैसे धरा की कोख भर आयी है ...
और जन्म बसंत बहार लेने वाला है
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ...धरा ने आज नया रूप धरा है