Wednesday, 31 January 2018

सूरज तो वहीं सदियों पुराना है


                                     सूरज तो वहीं सदियों पुराना है  ...धरा ने आज नया रूप धरा है 
                                                          लगता है आज फिर सांझ ढले  
                                                          सूरज धरा से बतलाने वाला है   
                                     सूरज तो वहीं सदियों पुराना है  ...धरा ने आज नया रूप धरा है
                                                          लगता है भोर भये आज फिर से
                                                           सूरज धरा के मन को भाया है 
                                     सूरज तो वहीं सदियों पुराना है  ...धरा ने आज नया रूप धरा है
                                                            सांझ ढले  सब ने उसे बिसराया  ...
                                                             धरा ने तब उसे गले लगाया है
                                     सूरज तो वहीं सदियों पुराना है  ...धरा ने आज नया रूप धरा है
                                                             लगता है आज दोनों के मिलन  ...
                                                                   की बेला आने वाली है 
                                     सूरज तो वहीं सदियों पुराना है  ...धरा ने आज नया रूप धरा है
                                                   लगता है जैसे धरा की कोख भर आयी है  ...
                                                       और जन्म बसंत बहार लेने वाला है 
                                    सूरज तो वहीं सदियों पुराना है  ...धरा ने आज नया रूप धरा है

Tuesday, 30 January 2018

मेरा स्पर्श


जैसा महसूस होता है
तुम्हे मेरा स्पर्श पाकर 
वैसा ही अनुभव कराना 
चाहता हु मैं तुम्हे मेरी 
कविताओं से की जब 
तुम पढ़ो मेरी कविता
तुम्हे महसूस हो की 
तुमने अभी अभी किया है
मुझे स्पर्श और मैं उन 
अपने एहसास को उतार 
सकू तुम्हारे हृदय के अंदर 
बोलो और किस-किस तरह
मैं समझू तुम्हारी मज़बूरिया 
की तुम भी खुश रहो मुझसे दूर
और मुझे भी एहसास ना हो 
तुम्हारी कमी और तुम्हारी 
उन मज़बूरिओं को समझने में
मुझे उनमे से दम्भ की बू भी ना आये
कहो और कैसे कैसे अभिव्यक्त
करू मेरी अभिव्यक्ति की तुम्हे
मेरा स्पर्श महसूस हो 

Sunday, 28 January 2018

मैं रहूँगा जुड़ा तुमसे यु ही

आज से हज़ारों साल 
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा
तुमसे यु ही जैसे फूल
जुड़ा है अपनी खुसबू से
आने वाले हर जन्म भी 
मैं ऐसे ही रहूँगा साथ 
तुम्हारे जैसे पेड़ जुड़ा 
रहता है अपनी जड़ से
मैं यु ही जगाये रखूँगा
अपनी प्यास तुम्हारे 
प्रेम की जैसे कोई पथिक
रेगिस्तान में भटक खोजता
है बेतहाशा पानी को 
मैं यु रहूँगा तुम्हे ताकते 
अपलक जैसे कोई अबोध 
बच्चा ताकता रहता है 
माँ को उसकी गोद से
हाँ आज से हज़ारों साल 
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा तुमसे
यु ही जैसे जुड़ा हु आज 

प्रेम में सिर्फ जायज़ ही जायज़ है

प्रेम और युद्ध में 
सबकुछ जायज़ है ;
ऐसा कई जगह 
लिखा पढ़ा भी है 
और कई वाकिये 
का मैं गवाह भी हु;
हां  युद्ध में सब कुछ
जायज़ है और इंसान 
नाज़ायज़ करते हुए 
देखे भी जा सकते है  ;
लेकिन मुझे आज
तक कोई ऐसा इंसान
नहीं मिला जो प्रेम 
में होकर कुछ भी 
नाज़ायज़ करने को 
आतुर हुआ हो अपने
प्रेम को पाने के लिए; 
तब समझ आया ये
किसी युद्धोन्मुख इंसान
ने अपने युद्ध को जायज़ 
ठहराने के लिए सब्द प्रेम 
का इस्तेमाल ही किया होगा ;
युद्ध में सब कुछ जायज़ है 
पर प्रेम में सिर्फ जायज़ ही 
जायज़ था है और होगा भी;

Saturday, 27 January 2018

साथ लिख दिया था

उस ऊपर वाले ने तो 
उसी दिन लिख दिया था 
तुम्हारा साथ जिस दिन 
मैंने रखा था अपना पहला कदम 
सूक्ष्म रूप में अपनी माँ की कोख में
आज आभार प्रकट करने का 
मन कर रहा है उन सभी का 
जिन्होंने अपना योगदान दिया
तुम्हे मुझसे मिलाने में सबसे  
पहले आभार उस विराट 
प्रकृति का जिसमे ये सब 
घटित हुआ और आभार उस
पथ का जिस पथ पर चल कर 
तुम मुझे मिली हां आभार उस 
तलाश का जिसने खोजी मेरी मंज़िल 
और आभार तुम्हारा अपना हाथ 
मेरे हाथ में आने दिया इस वादे 
के साथ की वो हाथ होगा साथ  
मेरे आने वाले हर जन्म में

Friday, 26 January 2018

माँ तेरी हो या हो मेरी


माँ तो माँ होती है माँ तेरी हो या हो मेरी
माँ राम की हो या रहीम की 
माँ इंसान की हो या शैतान की 
माँ जनती है सिर्फ एक शिशु को 
माँ की ममता राम के लिए भी वही 
माँ की ममता रावण के लिए भी वही
किन्योकि माँ तो माँ होती है माँ तेरी हो या हो मेरी
माँ चाहे हिंदुस्तानिओं की हो 
या हो पाकिस्तानीओ की हो    
या हो अमेरिकन की या रशियन की
माँ तो माँ होती है माँ तेरी हो या हो मेरी
आज जो सत्ता के लालची 
अपने पलड़े को भारी करने 
के लिए माओं को बाँट रहे है
उन्हें मैं बताना चाहता हु 
आज जिन माओं की संताने बहुतायत में है 
उनके पीछे वजह उनका अहिंसक स्वभाव है 
और जो है अल्पमत उनके पीछे उनका हिंसक स्वभाव है 
आज अगर तुम भी चल रहे हो उनके नक़्शे कदम पर 
कल तुम भी आ जाओगे अल्पमत में 
मत बांटों इन मांओं को मत बांटों इन मांओं को  
क्योंकि बच्चा चाहे मरे किसी भी माँ का 
छाती सुनी होती है सिर्फ उस माँ की   
माँ तो माँ होती है माँ चाहे तेरी हो या हो मेरी

Wednesday, 24 January 2018

जब थामा था तुम्हारा हाथ

जब पहली बार थामा था 
मैंने तुम्हारा हाथ 
मेरे इन हाथो में ;
तुम्हारे एक हाथ में था 
तुम्हारा अतीत और दूसरे 
हाथ में था हमदोनो का भविष्य;
दिमाग ने कहा पहले पढू 
तुम्हारा अतीत और दिल ने कहा;
बढ़ो भविष्य की ओर उस दिन भी 
मानी थी मैंने अपने दिल की बात; 
आज भी मान रहा हु उसी दिल की बात 
और एक बार फिर चाहता हु देना 
अवसर तुम्हे मेरे पास लौट आने का; 
सुनो इस बार फेंक आना अपने 
अतीत के काले पन्ने को सजाने 
हमदोनो का वर्तमान और भविष्य  
  

Tuesday, 23 January 2018

तेरी सांस में अफसाना होता है


तेरी हर एक अदा में
एक कहानी होती है,
तेरी हर एक सांस में
एक अफसाना होता है  
तेरे इस जिस्म में 
नमी है भरी हुई 
खयालो में मेरे 
आते ही किन्यु ये  
जिस्म यु पिघलने 
सा लगता है 
तुम लो कभी जो 
मुझे बाँहों के घेरे में
ये दिल जोरो से यु 
धड़कने लगता है 
रातरानी के फूलो की 
खुसबू ना जाने किन्यु 
तुम्हारे तन की खुसबू 
लगती है 
तेरी हर एक अदा में
एक कहानी होती है,

दीपक की लौ

जैसे अन्धकार में
एक दीपक की लौ
और उसके वृत्त में 
खड़ा दास की मुद्रा 
में उसका साया 
वैसे ही तुम्हारी 
गोल गोल बाँहों 
के दायरे में
सिमटा मेरा वज़ूद
दुनिया में सबसे 
खुशहाल जीवन मेरा 
अक्सर सोचा करता हूँ
इतना ही क्यों नहीं 
हो जाता है मेरे उम्र
का घेरा बस जिस तरह
दीपक की लौ बुझते ही 
उसके साये की सांसें 
भी थम जाती है 
वैसे ही तेरी गोलाकार
बाँहों के दायरे से बहार 
मेरी भी सांसें थम जाए 

Monday, 22 January 2018

लड़ाई जारी है मेरी

तुम्हारे लिए हमेशा लड़ा "मैं"  
हमदोनो के लिए भी लड़ा "मैं"  
अब जब तुम साथ नहीं हो
तो भी लड़ाई जारी है मेरी 
पर अब ये लड़ाई किसी 
और से नहीं ये लड़ाई है  
अपने ही दिल के साथ 
समझा रहा हु उसे की 
जाने दो आगे बढ़ो पर
दिल है अड़ा कहता है 
नहीं बढ़ना आगे बस
तुम थी तो भी लड़ाई 
अकेले ही लड़ रहा था 
तुम नहीं हो साथ तो भी 
लड़ाई अकेले ही लड़ रहा हु 
इसका कतई ये मतलब
नहीं की मैंने कोशिश नहीं की
इस रिश्ते को बचाने की
पर ना जाने किन्यु ऐसा 
महसूस होने लगा था 
जैसे साथ की जरुरत 
सिर्फ मुझे ही थी 

Sunday, 21 January 2018

प्रेम की कोख हरी हो जाती है


प्रेम चाहे जिस उम्र में हो 
वो उम्र चाहे बचपन की हो
या हो यौवन की अवस्था
या फिर हो पौढावस्था
लेकिन जब भी होता है
इक्षाएं ,कामनाएं
स्वप्न और ख्वाहिशें
स्वतः ही उसके प्रेम की
कोख में अवतरित हो
उस इंसान को आशावादी
बना देता है प्रेम में
होने के पहले चाहे
उस इंसान का स्वभाव
निराशावादी रहा हो
पर जब उसे भी प्रेम होता है
तब उसके भी प्रेम की
कोख हरी हो जाती है
और वो ये मानने
लग जाता है की
उसका प्रेम उसे अब
अपूर्ण नहीं रहने देगा 

Saturday, 20 January 2018

बेइंतेहा मोहोब्बत

तेरे हर एक जज्बात से 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है  
तेरे हर एक एहसास से 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है
तेरी हर एक याद से 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है
जब जब किया है तुमने याद
मैंने हर उस एक लम्हे से
बेइंतेहा मोहोब्बत की है
जिसमे हो सिर्फ एक तेरी
और एक मेरी बात  
उस "औकात" से 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है
तेरे हर इंतज़ार से भी मैंने
उतनी ही सिद्दत से मोहोब्बत की है
तू मेरी है सिर्फ मेरी 
मैंने इस भरोसे से भी 
बेइंतेहा मोहोब्बत की है

Friday, 19 January 2018

स्त्री बाँझ नहीं होती

स्त्री 
कभी बाँझ नहीं होती 
स्त्री जननी होती है  
संसार का चक्र टिका है 
जिस बीज पर वो 
उस बीज की जननी होती है
स्त्री तो सिर्फ प्रेम की प्यासी 
होती है हर ठोस को तरल
में प्रवर्तित करने वाली 
स्त्री कोमलता की परिचायक 
होती है वो तो मेनका उर्वशी
और रम्भा की जननी होती है 
स्त्री कभी बाँझ नहीं होती 
वो तो राम इंद्रा और कामदेव 
की जननी होती है

Thursday, 18 January 2018

तुम्हारे पास आ जाऊं

तुम तो अक्सर
कहती थी ना 
दिल करता है 
सब कुछ छोड़कर
सारे रिश्ते नाते 
तोड़कर कर तुम्हारे  
पास आ जाऊं और
फिर तुम्हारे बगैर एक 
पल को भी ना रहु
मेरे बिना तुम्हे यु 
जीना - जीना नहीं 
लगता एक सजा 
लगती है और कौन
चाहता है ज़िन्दगी 
को सजा के रूप में जीना
तुम वो ही हो ना
जो ये सब कहते नहीं 
थकती थी फिर आज 
क्या हुआ जब 
मैंने सारे रिश्ते नाते 
तोड़कर अकेले तुम्हारे
इंतज़ार में ज़िन्दगी को 
जीने की आस में 
अकेल बैठा हु

Wednesday, 17 January 2018

अद्वैत का अर्थ

मैंने कहा तुम जब 
बीच में मांग निकाल कर
अपने बालों को बनाती हो
तो बेहद प्यारी लगती हो ,
उसने कहा मुझे साइड 
में मांग निकालना पसंद है,
मैंने कहा तुम जब अपनी  
मांग को सिन्दूर से भर
कर रखती हो तो बहुत 
खूबसूरत लगती हो ,
उसने कहा सिन्दूर लगा
कर रखना मुझे पसंद नहीं ,
मैंने कहा मेरी ख्वाहिश है 
तुम्हे हष्ट पुष्ट देखना 
उसने कहा मुझे पतली
दुबली रहना ही पसंद है ,
मैंने कहा मुझे हर दिन 
तुम्हारा सामीप्य चाहिए 
उसने कहा कभी कभी चाहिए,
प्रेम की परिभाषा में 
अद्वैत का अर्थ 
शायद समझ नहीं आया 
उसे अब तक 

Tuesday, 16 January 2018

तुम्हारी सबसे प्यारी आदत

क्या होगा तुम्हारी
सबसे प्यारी आदत का
जब तुम्हे पता चलेगा
की जिस आदत से तुम
चिढ़ाती थी उसे वो 
अब बहुत दूर जा 
चूका है तुमसे जहा 
कोई उसे अब तंग 
नहीं कर सकता अपनी
आदत और लापरवाहियों से 
जैसे उसकी चाहत थी
रोज सुबह तुम्हे 
छोड़ने की तुम्हारे ऑफिस
जैसे उसकी चाहत थी 
रोज शाम तुम्हारे साथ
बातें करते हुए टहलने की 
जैसे उसकी चाहत थी 
तुम्हारे साथ एक घर 
बसा दोनों के बच्चो 
के साथ खेलने की 
ऐसी कितनी ही चाहतों 
के साथ वो अब बहुत
दूर चला गया है तुमसे 
क्या होगा तुम्हारी
सबसे प्यारी आदत का

Monday, 15 January 2018

आखरी साँस

शायद तुझसे दूर जाने 
का वक़्त आ गया है 
शायद मेरे ख्वाबों 
और ख्वाहिशों को 
कंधा देने का वक़्त 
आ गया है ;
निकल गयी है आखरी
साँस भी आज तेरे
मेरे उस रिश्ते की
शायद तेरी बांहो से 
अब मेरे बिछुड़ने का  
वक़्त आ गया है
शायद तुझसे दूर जाने 
का वक़्त आ गया है 

Sunday, 14 January 2018

मेरे पास आ जाओ तुम


कितना चाहा है तुम्हे
अब तो तुम आ जाओ 
कितना माँगा है तुम्हे
अब तो तुम आ जाओ 
कितनी मोहोब्बत है तुमसे
अब तो तुम आ जाओ 
कितनी जरुरत है तेरी मुझको
अब तो तुम आ जाओ 
अब तो समझ जाओ तुम 
जान ये मेरी तुम्हारी है 
हर ख़ुशी मेरी तुमसे है 
सारी दिल लगी तुमसे है 
अब तो समझ जाओ तुम 
मेरी रूह की जरुरत हो तुम 
मेरे दिल की इबादत हो तुम 
मेरी इस ज़िन्दगी की 
पहली और आखरी 
मोहोब्बत हो तुम
अब तो ये समझ 
मेरे पास आ जाओ तुम 

Saturday, 13 January 2018

पतंग का जीवन

मेरी डोर तेरे हाथ 
इसका रखना सदा ध्यान 
पतंग का जीवन 
सदा रहे बंधा 
उसकी डोर में 
इसका रखना सदा ध्यान 
मेरी डोर तेरे हाथ 
लगा है मेला आकाश में
मेरी पतंग उलझे नहीं
मेरी पतंग कटे नहीं  
इसका रखना सदा ध्यान 
मेरी डोर तेरे हाथ 
मेरी पतंग किसी ओर
डालिओं में ना फसे 
इसका रखना सदा ध्यान 
मेरी पतंग को रहे सदा
हवा की गति और 
दिशा का ज्ञान 
इसका रखना सदा ध्यान 
मेरी डोर तेरे हाथ
कितनी ही देर रहे
वो चाहे ऊंचाई पर 
पर अंततः करे वो  
प्रयाण तेरी ओर
इसका रखना सदा ध्यान 
पतंग का आराध्य 
रहे सदा शिव  
इसका रखना सदा ध्यान 

Friday, 12 January 2018

युवा यौवन




यौवन सपना है
यौवन ख़ुशी है
यौवन सूंदर है 
यौवन शक्ति है 
यौवन उपहार है 
यौवन कर्म है 
यौवन संरक्षक है 
यौवन आशा है 
यौवन वादा है
यौवन समृद्ध है
यौवन शिक्षा है 
यौवन मौज़ है 
यौवन मस्ती है 
यौवन प्रवाह है
यौवन निष्फिक्री है 
यौवन बीज है 
यौवन जीवन है 
यौवन बुद्धि है 
यौवन यज्ञ है
यौवन स्वतंत्र है 

Thursday, 11 January 2018

प्रेम का अनुभव

यु तो कई अनुभव होते है 
इंसान को उसकी ज़िन्दगी में 
पर प्रेम का अनुभव सैदेव मायने रखता है 
जब इंसान को प्रेम हो जाता है एक बार 
वो प्रेम कभी भी आपकी उसकी रूह से अलग
नहीं हो सकता जिस प्रकार ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ 
कृति है मानव और मानव के शरीर की संरचना 
उस संरचना में आँखें दो,कान दो, हाथ दो, 
पैर दो, स्तन दो, श्वसन छिद्र दो, अंडकोष दो, 
बनाये गए है ये दो की संख्या वैकल्पिक होती है
परन्तु जो एक है उसका कोई विकल्प नहीं होता 
मस्तिष्क एक, दिल एक,लिंग एक, कोख एक     
उसी प्रकार सच्चा प्रेम भी एक ही होता है और वो 
सच्चा प्रेम कितना भी दर्द दे परन्तु आप उससे 
खुद को कभी अलग नहीं कर सकते क्योकि वो 
वैकल्पिक नहीं और जो वैकल्पिक नहीं उसके  
बिना आपके जीवन की कल्पना संभव नहीं 

Wednesday, 10 January 2018

तुम ही मेरी दुनिया हो

जो कहते नहीं थकती थी 
तुम ही मेरी दुनिया हो 
तुम ही मेरा सूरज 
तुम ही मेरा चाँद हो
इन्ही शब्दों पर कर 
ऐतबार मैंने तुम्हारे 
हिस्से के पुरे आसमान 
पर अपनी तमाम उम्र  
लिख दी तुम सिर्फ 
इतना ही कर देना 
धरती पर एक अर्थी 
बिछे उतने ही हिस्से पर
लिख देना की तुझमे 
उस हिस्से जितना प्रेम 
करने की हिम्मत है  
तो मैं मान लूंगा इस 
ज़िन्दगी का एक नाम 
सुख भी था नहीं तो 
मैं सिर्फ ये समझूंगा  
उन सब्दो को जब 
अर्थ देना का समय 
आया तो तुम्हारा प्रेम 
चार इंच की दहलीज़ 
भी पार करने की हिम्मत
नहीं कर पाया 

Tuesday, 9 January 2018

एक पूरी प्रक्रिया

गेहू और गेहू से 
बनता उसका आटा
आटे से उसकी लोई 
और लोई से रोटी 
एक पूरी प्रक्रिया से
गुजर कर गेहू रोटी
की शक्ल अख्तियार 
करता है और इस पूरी
प्रक्रिया में बनाने वाले 
इंसान की मेहनत के 
साथ जब भावना जुड़ती है
तो उस से खाने वाले का
पेट ही नहीं भरता बल्कि 
उसका मन भी तृप्त होता है 
ठीक इसी प्रकार प्रेम में
देखे गए सपनो को भी पूरी
प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है 
थोड़ी सी असावधानी जिस 
प्रकार रोटी को जला देती है 
वैसे ही थोड़ी सी असावधानी
उन सपनो को चूर-चूर कर देती है 

Monday, 8 January 2018

वो प्रेम कंहा होता है


वो प्रेम कंहा होता है 
जहा दिल पर दिमाग
काबू पा लेता है;
प्रेम तो वो होता है
जंहा आँखें देखती है
सामने खायी और दिल
उसमे भी सागर देख लेता है 
वो प्रेम कंहा होता है 
जहा दिल पर दिमाग
काबू पा लेता है;
मैंने कहा उस से अब
मुझसे तुम तब कहना 
मैं तुम्हे प्रेम करती हु 
जब तुझमे ताकत 
आ जाये अपनी
दहलीज़ लांघने की   
उस दिन के बाद
उसने मुझे कहना ही
छोड़ दिया की मैं तुमसे
प्रेम करती हु 
वो प्रेम कंहा होता है 
जहा दिल पर दिमाग
काबू पा लेता है;

Saturday, 6 January 2018

तेरी सांसो की जरुरत बन जाऊंगा


सोचा था मेरे एहसास 
तेरी सांसो की जरुरत 
हो जाएगी ;   
सोचा था तुझे भी एक दिन
मेरी जरुरत हो जाएगी 
सोचा था धड़कने हर शाम  
कर देंगी तुम्हे परेशां
सोचा था तेरे दिल को भी
मेरे दिल की ऐसी 
आदत हो जाएगी 
सोचा था मेरी बातें तेरी नींद की 
हर करवट सी हो जाएगी
सोचा था हर मुलाकात पर 
तुम खुद को मेरे
पास भूल आओगी
सोचा था मेरा साथ 
तेरी ज़िन्दगी की इबादत 
सी हो जाएगी 
सोचा था तुझे पास लाने की
जो तमन्ना बसी है 
मेरी रूह में मेरे इश्क़ की
बेइन्तेहाई तेरी भी 
हसरत सी हो जाएगी 
लेकिन ये सब बस एक 
मैंने ही सोचा था

Friday, 5 January 2018

सुबह का उजाला

जाने कैसे लोग
प्रेम में हो कर भी 
गहरी नींद में सोते है ;
मुझसे तो करवट 
भी नहीं ली जाती 
जागते हुए भी
इस चिंता में की 
जिस ओर करवट 
लूंगा उस ओर तुम 
ना दिखी तो पूरी 
रात आँखों में ही 
काटनी होगी और 
फिर एक आस में 
पूरी रात आँखों में 
निकालनी पड़ती है 
की सुबह का उजाला 
तुम्हे फिर एक बार 
मेरे पास लेकर आएगा 

Wednesday, 3 January 2018

तेरे भावों की उष्मा


चाहता था मैं 
ये जो तन्हा 
लम्हे है मेरे 
ज़िन्दगी के 
जो फैले है 
इस धरा से 
उस छितिज़ तक
उन्हें तेरे इश्क़
की बाँहों में 
समां अपनी उम्र
की सूखती रेत को
तेरे भावों की उष्मा
में भिगो लू और 
फिर तेरे ही किनारे 
बैठ एक गांव बसा लू 
और उसे तेरा नाम दे
तेरी पनाहो में अपनी 
बची ज़िन्दगी गुजार दू 

खुसबू को हवा चाहती है

मेरी चाहत 
तुम्हे ऐसे चाहने की     
जैसे चन्द्रमा चाहता है 
बेअंत समंदर को ;
जैसे सूरज की किरण
सीप के दिल को चाहे ;
जैसे खुसबू को हवा 
रंग से हटकर चाहती है ;
जैसे कोई कलाकार पत्थर
में देख लेता है अपने 
ईश को और उस पत्थर को 
तराश कर बना भी लेता है अपना ईश;
जैसे ख्वाबो को चाहते है सपने ;
जैसे बारिश की दुआ मांगते है 
छाले से भरे पांव ;
हा है मेरी चाहत 
तुम्हे ऐसे चाहने की   

Tuesday, 2 January 2018

इतना खामोश किन्यु है चिड़ा ?

क्या तुम बता सकती हो 
ये रोज-रोज ची-ची कर
शोर मचाने वाला चिड़ा आज
इतना खामोश किन्यु है ?
क्या तुम बता सकती हो 
ये रोज-रोज ची-ची कर
उड़ने वाला चिड़ा आज किन्यु
बैठा है खामोश जैसे किसी ने
पंख क़तर दिए है इसके ?
क्या तुम बता सकती हो 
ये रोज-रोज ची-ची कर
अपनी चोंच को भर लाने
वाला चिड़ा अब तक भूखा किन्यु है ?
क्या तुम बता सकती हो 
ये रोज-रोज ची-ची कर
अपने सीने में जमी ठण्ड को 
गर्म भाप और गर्म पानी से 
मिटाने वाला चिड़ा आज
इतना खामोश किन्यु है ?
शायद तुम्हे पता है पर तुम
कहना नहीं चाहती अपनी जुबा से
की उसकी देह खोज रही है 
अपनी धुप (गौरैया ) को 
और धुप (गौरैया ) आज कंही छोड़ कर 
चली गयी है उससे दूर 

Monday, 1 January 2018

सिहरन की पगडण्डी

सिहरन की पगडण्डी 
पर चलते चलते देखो
कैसे मेरे रोंये खड़े हो रहे है; 
तुम्हारी आद्रता को महसूस 
करते करते लिख रहे है
मेरे रग रग पर तुम्हारा नाम;
और मैं बैठा हर पल तुम्हारी 
धड़कनो के सिहराने सुन रहा हु;
दस्तक अपने अधूरे सपनो की 
अक्सर सुला देता हु उन्हें झूठी
तसल्ली देकर लेकिन; फिर जब 
तुम उन्हें सहला देती हो वो फिर
एक बार ज़िद्द पर अड़ जाते है 
और मेरे कदम से कदम मिला
एक बार फिर चल पड़ते है 
सिहरन की पगडण्डी पर 

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !