Monday, 6 November 2017

पूर्णविराम

कितनी उम्र 
गुजारनी पड़ती है अकेले,
एक हमसफ़र पाने को    
कैसे गतिमान होता है ,
हमारा अकेलापन उस 
हमसफ़र तक पहुंचने को,
लेकिन ये हम में से किसी को 
नहीं पता होता की    
उस तक पहुंचने के बाद
मिलेगा पूर्णविराम 
हमारी चाहत को,
या दुनियावी  दिखावे के कारन 
हम कंही गाला घोंट देंगे
उस चाहत का 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !