क़दम उसी मोड़
पर जमे हैं मेरे
जहा तुम छोड़
कर गयी थी मुझे,
पर अपनी नज़र
समेटे हुए खड़ा हूँ ,
मन ये कह रहा है
पलट के देखूँ ,
ख़ुदी ये कहती है
की अब एक मोड़
मुड़ ही जाऊ ,
मगर एहसास
कह रहा है ,
खुली खिड़कियों
के पीछे उसकी
दो आँखें झाँकती होगी ,
अभी मेरे इंतज़ार में
वो भी जागती होगी ,
कहीं तो उस के
दिल में दर्द होगा ,
उसे ये ज़िद है
कि मैं पुकारूँ
मुझे तक़ाज़ा है
की वो दौड़ी आये
अब पास मेरे,
क़दम अब भी
जाने किन्यु उसी मोड़
पर जमे हैं मेरे,
जहा तुम छोड़
कर गयी थी मुझे
पर जमे हैं मेरे
जहा तुम छोड़
कर गयी थी मुझे,
पर अपनी नज़र
समेटे हुए खड़ा हूँ ,
मन ये कह रहा है
पलट के देखूँ ,
ख़ुदी ये कहती है
की अब एक मोड़
मुड़ ही जाऊ ,
मगर एहसास
कह रहा है ,
खुली खिड़कियों
के पीछे उसकी
दो आँखें झाँकती होगी ,
अभी मेरे इंतज़ार में
वो भी जागती होगी ,
कहीं तो उस के
दिल में दर्द होगा ,
उसे ये ज़िद है
कि मैं पुकारूँ
मुझे तक़ाज़ा है
की वो दौड़ी आये
अब पास मेरे,
क़दम अब भी
जाने किन्यु उसी मोड़
पर जमे हैं मेरे,
जहा तुम छोड़
कर गयी थी मुझे
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