उम्र का एक छोटा
सा हिस्सा कर रही
थी मेरे नाम उसी
वक़्त तुमने विरह
के एक बड़े से टुकड़े
को भी न्योता दे ही
दिया था लगाने
सेंध अपने जीवन के
अनगिनत पलों में
पर शायद उस वक़्त
तुमने सिर्फ अपने
हिस्से के विरह की
परवाह की पर
तुमने सोचा ही नहीं
वो सहन शक्ति मुझमे
कहा से आएगी मैं
तो ठहरा एक पुरुष
कहा थी मुझमे वो
सहनशक्ति बोलो ?
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