Saturday, 25 November 2017

उम्र का एक छोटा सा हिस्सा


जब तुम अपनी 
उम्र का एक छोटा 
सा हिस्सा कर रही
थी मेरे नाम उसी 
वक़्त तुमने विरह 
के एक बड़े से टुकड़े 
को भी न्योता दे ही 
दिया था लगाने 
सेंध अपने जीवन के
अनगिनत पलों में
पर शायद उस वक़्त 
तुमने सिर्फ अपने 
हिस्से के विरह की 
परवाह की पर
तुमने सोचा ही नहीं 
वो सहन शक्ति मुझमे
कहा से आएगी मैं 
तो ठहरा एक पुरुष 
कहा थी मुझमे वो 
सहनशक्ति बोलो ?

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !