Tuesday 14 November 2017

चांदनी सो रही थी

उस लम्हें में,
रात का स्याह 
रंग जब बदल 
रहा था तुम 
याद तो है ना  
चांदनी मेरा हाथ 
थामे सो रही थी 
गहरी नींद में, 
और रौशन कर 
रही थी मेरे 
जंहा का हर  
एक एक कोना...
और मैं इस 
चिंता में डूबा था 
की कंही मेरी 
चांदनी की नींद 
ना उचट जाए 
और वो उठते 
ही कहे "राम"
मुझे जाना है

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !