Wednesday 1 November 2017

तेरे जिस्म में एहसास बन समाया हु

तुम्हारी यादो 
के जिस्म में 
एहसास बन 
समाया हु मैं ,
जिन्हें यादो संग 
मैंने पहना हुआ है ,
और अब इसी लिबास 
को पहन रखना 
चाहता हु ,
मैंने तुम्हारे एहसास को 
किताबो में बांध 
लिया है हर्फो संग 
रोज अक्षर दर अक्षर 
सजाया करता हु ,
तेरे नाम से 
हर एक हर्फ़
चमकता है,
तेरी आँखों की 
ख़ामोशी से 
अपना नाम जोड़कर 
कविता लिखता हु
रात भर और , 
सिमटता रहता हु
तुम संग सारी रात 
यंहा इन किताबो में 
हर्फो में और रात में  ,
तुम बिलकुल मेरे 
पास हो साथ हो 
अभी। ..

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !