मेरे आँसुओं की बारिश
से भीगी मेरी ही रातों में
मेरी ही खिड़की के झरोखों
से आती हुई रोशनी के बीच
हलके अँधेरे और हलके उजाले
की छुटपुट आहटों के बीच हमेशा
लगता है जैसे तुम आयी हो ?
फिर सिलसिला शुरू होता है
तुम्हे खोजने का पुकारने का
तुम कंहा हो और ये सिलसिला
अलसुबह तक यु ही चलता रहता है
फिर कंही जा कर एहसास होता है
वो मेरा भ्रम था तुम तो आयो ही नहीं
भीगी पलकों और रुंधे गले के साथ
लौट आता हु अपने बिस्तर पर
कुछ इस तरह गुजर जाती है मेरी रातें
से भीगी मेरी ही रातों में
मेरी ही खिड़की के झरोखों
से आती हुई रोशनी के बीच
हलके अँधेरे और हलके उजाले
की छुटपुट आहटों के बीच हमेशा
लगता है जैसे तुम आयी हो ?
फिर सिलसिला शुरू होता है
तुम्हे खोजने का पुकारने का
तुम कंहा हो और ये सिलसिला
अलसुबह तक यु ही चलता रहता है
फिर कंही जा कर एहसास होता है
वो मेरा भ्रम था तुम तो आयो ही नहीं
भीगी पलकों और रुंधे गले के साथ
लौट आता हु अपने बिस्तर पर
कुछ इस तरह गुजर जाती है मेरी रातें
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