सुनो आज तुम
चाँद को बिंदी
बना कर भले ही
मत लगाना और
आँचल में सितारे
भी ना टांकना
और अपनी देह
के लिए नयी उपमाएं
तो बिलकुल मत
मांगना किन्योकि
काम के बोझ से
थका हरा वो
जब लौटे ऑफिस से
प्यार से लिटा लेना
अपनी गोद में उसे और
मलना उसके बालों में
जैतून का तेल
को अपने अंगुलिओं के
पोरों से अच्छी तरह
और बच्चों सी गहरी
नींद सुला लेना
देखना सुबह उसकी
कितनी सुहानी होती है …
ऐसा कभी कभी
किया करो तुम
जो तुम्हारे और
तुम्हारे बच्चो के लिए
दुंनिया जहाँ की खाक
छानता है उसे भी
जरुरत होती है
तुम्हारे स्नेह की
चाँद को बिंदी
बना कर भले ही
मत लगाना और
आँचल में सितारे
भी ना टांकना
और अपनी देह
के लिए नयी उपमाएं
तो बिलकुल मत
मांगना किन्योकि
काम के बोझ से
थका हरा वो
जब लौटे ऑफिस से
प्यार से लिटा लेना
अपनी गोद में उसे और
मलना उसके बालों में
जैतून का तेल
को अपने अंगुलिओं के
पोरों से अच्छी तरह
और बच्चों सी गहरी
नींद सुला लेना
देखना सुबह उसकी
कितनी सुहानी होती है …
ऐसा कभी कभी
किया करो तुम
जो तुम्हारे और
तुम्हारे बच्चो के लिए
दुंनिया जहाँ की खाक
छानता है उसे भी
जरुरत होती है
तुम्हारे स्नेह की
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