Sunday, 19 November 2017

जूड़े को खोल आना


जब भी आओ तुम आना 
सारे बंधन उतार  
छोड़ आना उन्हें
उसी देहरी पर 
क्लच को झटका 
देना बालों से 
और सुबह दस 
बजे से कसे 
जूड़े को खोल आना  
साथ ही निकाल आना  
अपनी साड़ी के 
पल्लू की सारी पिनें
और नीली वाली 
हवाई चप्पल सी 
बेफिक्री लिए आना  
अपने प्रेमी
के पास

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !