वो दिन भी
अच्छी से आज
भी याद है मुझे,
जब मैं चुपके से
मैं तुम्हे टुकुर-टुकुर
ताका करता था ,
जैसे तुम्हारे अस्तित्व
की चादर हटाकर
ढूंढ रहा था मैं ,
कोई जाना-पहचाना
सा चेहरा,
मैं लाख मना करू
पर मुझे था इंतज़ार
जरूर किसी का
वो दिन भी
अच्छी से आज
भी याद है मुझे,
जब मैं चुपके से
मैं तुम्हे टुकुर-टुकुर
ताका करता था ,
वो दिन तुमने
अपने हाथो लौटाए
है बैरंग अब चाहती हो ,
फिर वो लौट कर आये वापस
पर जो दिन बीत जाते है ,
वो कंहा आते है
लौट कर वापस बोलो
अच्छी से आज
भी याद है मुझे,
जब मैं चुपके से
मैं तुम्हे टुकुर-टुकुर
ताका करता था ,
जैसे तुम्हारे अस्तित्व
की चादर हटाकर
ढूंढ रहा था मैं ,
कोई जाना-पहचाना
सा चेहरा,
मैं लाख मना करू
पर मुझे था इंतज़ार
जरूर किसी का
वो दिन भी
अच्छी से आज
भी याद है मुझे,
जब मैं चुपके से
मैं तुम्हे टुकुर-टुकुर
ताका करता था ,
वो दिन तुमने
अपने हाथो लौटाए
है बैरंग अब चाहती हो ,
फिर वो लौट कर आये वापस
पर जो दिन बीत जाते है ,
वो कंहा आते है
लौट कर वापस बोलो
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