Thursday 9 November 2017

क्या तुम सुन पाती हो .....मौन को

मौन के भी 
शब्द होतें है,
ये मैंने महसूस 
किया तुमसे मिलकर 
क्या तुम उन्हें 
सुन पाती हो .....
जब कभी मैं
नाराज़ हो जाता हु
तुमसे तुम्हारी ही
गलती पर और 
कायम होता है 
मौन हम दोनों 
के बीच और वो
मौन तुम्हे भी 
कर देता है मौन
ये कैसे-कैसे 
नये अहसास है
जो मुझे हो रहे है 
तुमसे मिलने के बाद 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !