Friday, 3 November 2017

तुम्हारी अभिलाषा


हाँ मुझे है
तुम्हारी अभिलाषा,
क्योंकि तुम्हारा
साथ कभी भी
मुझे भटकने
नहीं देता...
तुम्हारा कोमल सा,
नरम सा स्पर्श
मुझे कोई तकलीफ
नहीं देता...
तुम्हारा मेरे
जीवन में होना
मुझे कभी शुन्य
नहीं होने देता...
शायद ये तुम्हारी
अभिलाषा ही है,
जो मेरे जीवन को संपूर्ण बनाती है..

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !