Thursday 16 November 2017

तुम्हारी वो नज़रअंदाज़ी

मेरी अभिव्यक्ति 
को पढ़कर भी ,
यु जितना आसान 
होता है तुम्हारे लिये 
खामोश रहना ,
उतना ही मुश्किल 
होता है यु रोज रोज 
मेरे लिये तुम्हारा 
वो प्यार लिखना....
जितना आसान होता है 
तुम्हारा मुझे देख कर भी,
यु सुबह सुबह 
नजरअंदाज करना,
उतना ही मुश्किल 
होता है मेरे लिए 
तुम्हारी वो नज़रअंदाज़ी 
के अंदाज़ लिखना...

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !