Thursday, 5 October 2017

अपने पुरुषत्व का भान

सच कहु तो 
मुझे हमेशा ही 
ऐसा लगता है 
जैसे तुम्हे छूकर ही 
मैंने अपनी हयात 
को महसूस किया है
और तुम्हे चूमकर ही 
मुझे अपने पुरुषत्व 
का भान हुआ है और
जब जब मैं देखता हु 
तुम्हारी झील सी आँखों को 
तब तब मेरे घांवो पर मैंने
मरहम लगी महसूस की है 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !