प्रेम का दिया दर्द
सहकर वो एक बार
फिर एक नई स्थिति
से गुजरने के लिए खुद
को एक नए रूप में
तैयार करता है और
उबड़खाबड़ ज़मीन पर भी
नई हिम्मत और नयी ऊर्जा
से खड़ा होता है
एक नहीं सौ बार गिरता है
उठने के लिए निःसन्देह,
दुनिया के लिए तो वो
उदाहरण बन जाता है
उदाहरण से पूर्व जो वेदना
उसने झेली होती है
बाह्य और आंतरिक
जो हाहाकार होता है
उसके हृदय में वो
असहनीय होता है
इसे हर कोई नहीं सह पाता.....
सिवाय प्रेम करने वाले के
सहकर वो एक बार
फिर एक नई स्थिति
से गुजरने के लिए खुद
को एक नए रूप में
तैयार करता है और
उबड़खाबड़ ज़मीन पर भी
नई हिम्मत और नयी ऊर्जा
से खड़ा होता है
एक नहीं सौ बार गिरता है
उठने के लिए निःसन्देह,
दुनिया के लिए तो वो
उदाहरण बन जाता है
उदाहरण से पूर्व जो वेदना
उसने झेली होती है
बाह्य और आंतरिक
जो हाहाकार होता है
उसके हृदय में वो
असहनीय होता है
इसे हर कोई नहीं सह पाता.....
सिवाय प्रेम करने वाले के
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