मेरे प्रेम को
मेरे शब्द तो
परिभाषित करते
ही होंगे किन्यु बोलो?
करते है या नहीं ?
ये अनुभव
कुछ मायने तो
रखता ही होगा,
तुम्हारे लिए ?
पर मुझे तो कोई
उत्तर नहीं मिला
अब तक इन शब्दो
का तुमसे फिर
बोलो कैसे परिभाषित
करू मैं तुम्हारे
प्रेम को तुम हर बार
एक नयी मज़बूरी
के साथ सामने
आती हो मेरे ,
अब छोड़ देता हु
इसे तुम्हारे भरोषे,
किंयूंकि बहुत दूर
खिंच लाया हु मैं
इस प्रेम को अकेले ही
अब तुम ले कर चलो
इसे वंहा जंहा तुम
ले जाना चाहती हो । ...
मेरे शब्द तो
परिभाषित करते
ही होंगे किन्यु बोलो?
करते है या नहीं ?
ये अनुभव
कुछ मायने तो
रखता ही होगा,
तुम्हारे लिए ?
पर मुझे तो कोई
उत्तर नहीं मिला
अब तक इन शब्दो
का तुमसे फिर
बोलो कैसे परिभाषित
करू मैं तुम्हारे
प्रेम को तुम हर बार
एक नयी मज़बूरी
के साथ सामने
आती हो मेरे ,
अब छोड़ देता हु
इसे तुम्हारे भरोषे,
किंयूंकि बहुत दूर
खिंच लाया हु मैं
इस प्रेम को अकेले ही
अब तुम ले कर चलो
इसे वंहा जंहा तुम
ले जाना चाहती हो । ...
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