Tuesday, 17 October 2017

तेरे आलिंगन में

तेरे आलिंगन में 
सदैव फैलाता अपनी 
जड़ो को मैं ;
हर साँस तेरी अपनी 
सांसों में समेट लेता हु मैं ;
और बून्द बून्द मेरे अस्तित्व की 
तेरी रूह में उढेल देता हु मैं ;
और इस कदर फिर एक बार 
मरते मरते जन्म लेता हु मैं ;
तेरे आलिंगन में 
सदैव फैलाता अपनी 
जड़ो को मैं ;

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !