प्रेम हु मैं
वैसे किताबो और
कहानीओं में मेरा
अस्तित्व बहुत बड़ा है ;
पर सच कहु तो कई बार
एहसास होता है जैसे इसके
अस्तित्व का मोल कुछ
भी नहीं तेरे एक जज्बे के आगे;
तेरा वो जज्बा जो कभी मुझे
खड़ा कर देता है ईश्वर के बराबर
व्रत और त्योहारों में तो कभी
तेरा ही जज्बा मुझे ला खड़ा
करता है तेरे दरवाज़े के बहार;
जंहा वो भूखा प्यासा तड़पता है
तेरा सामीप्य पाने को
तो प्रेम है जज्बा तेरे दिल का
वैसे किताबो और
कहानीओं में मेरा
अस्तित्व बहुत बड़ा है ;
पर सच कहु तो कई बार
एहसास होता है जैसे इसके
अस्तित्व का मोल कुछ
भी नहीं तेरे एक जज्बे के आगे;
तेरा वो जज्बा जो कभी मुझे
खड़ा कर देता है ईश्वर के बराबर
व्रत और त्योहारों में तो कभी
तेरा ही जज्बा मुझे ला खड़ा
करता है तेरे दरवाज़े के बहार;
जंहा वो भूखा प्यासा तड़पता है
तेरा सामीप्य पाने को
तो प्रेम है जज्बा तेरे दिल का
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