Thursday, 12 October 2017

करवटों में गुज़री रात

दिन भर की
भाग दौड के बाद
घर लौटा .... 
तकरीबन 
सब कुछ
व्यवस्थित सा था...
रात  बेहद सर्द थी 
मगर 
बिस्तर नर्म
और कमरा गर्म था.....
फिर भी 
सारी रात 
करवटों में गुज़री
जाने क्यूँ
नींद नहीं आई
शायद यात्रा की 
थकान ज्यादा थी...
तुम्हे बहुत दूर 
जो छोड़ आता हु ....
यु ही प्रत्येक दिन

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !