वो दिन भी अच्छी तरह
याद है मुझे,
जब अक्सर मैं
तुम्हे अपलक
ताका करता था ,
जैसे तुम्हारे वजूद की
चादर हटाकर ढूंढ रहा था
एक अपना सा दिल ,
मैं लाख मना करू
पर मुझे था तब इंतज़ार
जरूर एक तुम्हारा ही
क्यूंकि वो दिन याद है मुझे
जब अक्सर मैं
तुम्हे अपलक
ताका करता था ,
और एक ये दिन है
जो अब तुम्हे ता उम्र
याद रहेंगे जब दिन-महीने
निकल जाते है
तुम्हे देखे मुझे सोचना
ऐसा किन्यु और कैसे हुआ
याद है मुझे,
जब अक्सर मैं
तुम्हे अपलक
ताका करता था ,
जैसे तुम्हारे वजूद की
चादर हटाकर ढूंढ रहा था
एक अपना सा दिल ,
मैं लाख मना करू
पर मुझे था तब इंतज़ार
जरूर एक तुम्हारा ही
क्यूंकि वो दिन याद है मुझे
जब अक्सर मैं
तुम्हे अपलक
ताका करता था ,
और एक ये दिन है
जो अब तुम्हे ता उम्र
याद रहेंगे जब दिन-महीने
निकल जाते है
तुम्हे देखे मुझे सोचना
ऐसा किन्यु और कैसे हुआ
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