Friday 30 August 2019

जिन्दगी की भागमभाग !


जिन्दगी की भागमभाग ! 

जिन्दगी की इस भागमभाग 
में अब तक भाग ही रहे हो तुम 
इसलिए तो कभी समझ ही नहीं पाए 
मेरी उर्वर आँखों की नीरवता में बसा 
जो स्नेह है एक सिर्फ तुम्हारे लिए 
मेरे कोमल मन में जो प्यार है 
वो एक सिर्फ है तुम्हारे लिए है 
मेरे स्पर्श में जो गर्माहट है 
वो भी है एक सिर्फ तुम्हारे लिए है 
मेरे इन अहसासों में जो नर्मी है 
वो भी तो एक सिर्फ तुम्हारे लिए है 
जिन्दगी की इस भागमभाग में 
कभी महसूस ही ना कर पाए तुम 
उन फूलों की खुशबू जो दबे रह 
गए हैं कहीं मेरे दिल के वर्क में 
जिन्दगी की इस भागमभाग में 
तुम कभी जान ही नहीं पाए मेरी 
उन अनकही बातों के अद्भुत अर्थ को 
तभी तो अब तलक खुद को मेरे 
पास ही नहीं ला पाए हो तुम 
जिन्दगी की इस भागमभाग में
अब तक भाग ही रहे हो तुम 
इस भागमभाग में क्या क्या खोया है 
तुमने ये अब तक जान ही नहीं पाए हो तुम !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !