सुन गुजारिश मेरी !
ऐ ज़िन्दगी सुन
इतनी सी गुज़ारिश
मेरी !
अब कहीं दूर ना जा
कर दे रोशन इन सियाह
रातों को मेरी !
और कर दे शीतल से
ठन्डे मेरे तपते दिनों को
तू मेरे !
फिर आकर तू पास
मेरे ले ले अपने आगोश
के घेरे में मुझे !
और कर दे इस दुनिया
से बिलकुल जुदा तू
मुझे !
ऐ ज़िन्दगी मेरी
आ मेरी आँखों में
बस जा और अपनी
आँखों में बसा ले फिर
से मुझे !
तू मुझसे दूर ना जाना
इतनी सी गुज़ारिश है
मेरी !
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