Sunday, 18 August 2019

सुन गुजारिश मेरी !


सुन गुजारिश मेरी !

ऐ ज़िन्दगी सुन 
इतनी सी गुज़ारिश 
मेरी ! 
अब कहीं दूर ना जा 
कर दे रोशन इन सियाह 
रातों को मेरी !
और कर दे शीतल से 
ठन्डे मेरे तपते दिनों को 
तू मेरे ! 
फिर आकर तू पास 
मेरे ले ले अपने आगोश 
के घेरे में मुझे !  
और कर दे इस दुनिया 
से बिलकुल जुदा तू 
मुझे ! 
ऐ ज़िन्दगी मेरी
आ मेरी आँखों में 
बस जा और अपनी 
आँखों में बसा ले फिर 
से मुझे !
तू मुझसे दूर ना जाना 
इतनी सी गुज़ारिश है
मेरी !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !