Thursday, 29 August 2019

पूर्णताः का घूंट पिला !


पूर्णताः का घूंट पिला !

तुम आओ मेरे पास इतनी 
की मेरी गर्म सांसें तुम्हारे 
गालो से टकराकर तुम्हारे 
पास होने का एहसास मुझे 
दिला सके ! 
तुम आओ मेरे पास इतनी 
की तुम्हारे बदन की खुसबू 
मेरे सांसो में घुलकर मुझे 
पूर्णताः का घूंट 
पिला सके !
तुम आओ मेरे पास इतनी 
कि तुम्हारी बंद आँखों में 
तैरते सपने मेरे होंठो का 
स्पर्श पाकर मन ही मन 
इतरा सके !
तुम आओ मेरे पास इतनी 
की तुम्हारे गेसुओं में मेरी 
अंगुलिया फिसलती हुई 
तुम्हे सकु के कुछ पल 
दिला सके !
तुम आओ मेरे पास इतनी 
की मेरी बाँहों के घेरे में लिपटा 
तुम्हारा ये कोमल तन मेरी 
सारी कायनात को 
हिला सके ! 
तुम आओ मेरे पास इतनी 
की मेरी गर्म सांसें तुम्हारे 
गालो से टकराकर तुम्हारे 
पास होने का एहसास मुझे 
दिला सके ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !