Friday, 16 February 2018

प्रश्न करती है रूह




कई बार तो 
समंदर मेरी आँखों में
उतर आता है जब 
प्रश्न करती है मुझसे 
मेरी ही रूह 
राम क्या कभी होंगे 
उसके वादे पुरे ?   
फिर भी तुम्हारे 
वादों पर करता हुआ 
इकरार उन्ही के  
बोझ तले दबा 
जा रहा हु मैं अब 
और तुम भी 
नित्य नए वादे 
किये जा रही हो 
पर वादे सारे है 
अब तलक अधूरे
तन्हाईओं में घिरा 
करता हु इन दीवारों 
से अकेले में बात
बातें जिसमे एक सिर्फ
तुम शामिल हो 
कई बार तो 
समंदर मेरी आँखों में
उतर आता है जब 
प्रश्न करती है मुझसे 
मेरी ही रूह 
राम क्या कभी होंगे 
उसके वादे पुरे ?   

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !