Monday, 19 February 2018

आरती के स्वर


क्या रोज ही प्रातः  
आरती के स्वर 
तुमसे दुरी बना
कर रहते है या 
तुम बनाती हो
दूरियां उनसे ?
प्रातः की आरती 
में भाव भरो अपने
कहते है भगवान
चीज़ों के नहीं 
भावों के भूखे
होते है ?
तो फिर किन्यु 
नहीं होती तुम्हारी 
प्रार्थना पूरी बोलो?
आज सच सच 
बताओ ना मुझे 
सच में तुम करती हो 
प्रार्थना उन भावों के
साथ जो भाव 
देखता हु अक्सर मैं 
तुम्हारी आँखों में 
हमदोनो के साथ का ?
क्या रोज ही प्रातः  
आरती के स्वर 
तुमसे दुरी बना
कर रहते है या 
तुम बनाती हो
दूरियां उनसे ?

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !