खुले आसमान में
सांस लेने को आतुर
हमारे सभी सपने
दिल के पिंजरे में
बंद है जिसकी चाबी
तुम्हारे पास है वो
फड़फड़ाते तो है पर
पिंजरे से बाहर नहीं
आ सकते वो ज़ज़्बा
जो इन सपनो को
खुला आसमान दे सके
वो पड़ा है तुम्हारी
दहलीज़ के अंदर
कब आयो तुम उस
ज़ज़्बे को लेकर और
खोलो ताले लगे इस
पिजरे को ताकि हमारे
सपनो को मिल सके
उनके हिस्से का
खुला आसमान
सांस लेने को आतुर
हमारे सभी सपने
दिल के पिंजरे में
बंद है जिसकी चाबी
तुम्हारे पास है वो
फड़फड़ाते तो है पर
पिंजरे से बाहर नहीं
आ सकते वो ज़ज़्बा
जो इन सपनो को
खुला आसमान दे सके
वो पड़ा है तुम्हारी
दहलीज़ के अंदर
कब आयो तुम उस
ज़ज़्बे को लेकर और
खोलो ताले लगे इस
पिजरे को ताकि हमारे
सपनो को मिल सके
उनके हिस्से का
खुला आसमान
No comments:
Post a Comment