ये तुम्हारे प्रेम की ही जादूगरी है,
जिसमे खोया हुआ सा हु आज तक मैं ;
और तुम व्यस्त हो उन "अपनों" की ज़िन्दगी
के जंजालों में और, तुम्हारी ये व्यस्तता मुझे अब
विचलित करने लगी है ;मेरे अंतर्मन को झकझोरने
लगी है पर, तुम्ही तो कहती हो अक्सर ऐसी भी क्या
व्यस्तता जिसमे तुम मुझे ही भूल जाते हो ?
जब मैं तुम्हारे मैसेज या फ़ोन का जवाब नहीं
दे पता हु जबकि, मेरी व्यस्तता में शामिल है
हमारे वो सपने जो देखे है तुम्हारी और मेरी
दोनों की आँखों ने चाहो तो देख सकती हो
तुम आज भी वो तुम्हारे किये वादे मेरी आँखों में
जो तुमने किये थे मुझसे की अब आना है मुझे
तुम्हारे पास तुम्हारे लिए और साकार करना
चाहती हो वो सारे सपने पर जब आज भी
उसी तरह तुम्हे देखता हु "अपनों" की ज़िन्दगी
के जंजालों में व्यस्त तो तुम्हारी व्यस्तता मुझे
विचलित करने लगती है कंही ऐसा तो नहीं वो
सपने जो देखे थे हमदोनो की आँखों ने वो
सिर्फ मेरी ही आँखों में दर्ज़ है और तुमने
बहा दिए हो उन अश्को में जो बहे है तुम्हारे
"अपनों" के लिए बोलो ?
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