वो जिससे जुड़े थे मेरे
सारे एहसास वो ही
उन एहसासो को
रौंद कर जताती रही अफ़सोस
और बस इतना चाहती रही मुझसे
कि मैं वो हर बात समझू
उसकी जो रह जाती है अनकही
वो जिसने जाना समझा मेरी
बेइंतेहा चाहत को भली भांति
वो उसी चाहत को कर दरकिनार
हर बार बस इतना चाहती रही मुझसे
कि जब भी कोई गलती हो उससे
मैं करता रहु उन्हें नज़रअंदाज़
वो जिसने खायी मेरी कसमे
निभाने को अपने सारे वादे
वो ही तोड़कर उन सारी कसमों को
चाहती रही मुझसे की मैं ना करू
परवाह उन टूटती कसमों का
और चाहता रहू उसे यु ही बेइंतेहा
वो जिससे जुड़े है अब भी मेरे सारे एहसास
रौंद कर जताती है अफ़सोस अब भी
सारे एहसास वो ही
उन एहसासो को
रौंद कर जताती रही अफ़सोस
और बस इतना चाहती रही मुझसे
कि मैं वो हर बात समझू
उसकी जो रह जाती है अनकही
वो जिसने जाना समझा मेरी
बेइंतेहा चाहत को भली भांति
वो उसी चाहत को कर दरकिनार
हर बार बस इतना चाहती रही मुझसे
कि जब भी कोई गलती हो उससे
मैं करता रहु उन्हें नज़रअंदाज़
वो जिसने खायी मेरी कसमे
निभाने को अपने सारे वादे
वो ही तोड़कर उन सारी कसमों को
चाहती रही मुझसे की मैं ना करू
परवाह उन टूटती कसमों का
और चाहता रहू उसे यु ही बेइंतेहा
वो जिससे जुड़े है अब भी मेरे सारे एहसास
रौंद कर जताती है अफ़सोस अब भी
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