Monday, 12 February 2018

तुम्हारी बाँहों की गोलाईयाँ

                                                                  💕Hug Day💕
चाहत है  ...
तुम्हारी बाँहों की गोलाइयों 
में सोते हुए ज़िन्दगी के दिए 
तमाम दर्दो से निज़ाद पाने की ।
चाहत है  ...
मौत की घनी ख़ामोशी को भी 
तुम्हारे ऊपर लिखी दो चार प्रेम 
कविता सुनाने की  
चाहत है  ... 
तुम्हारी इन्ही बाहों में सोकर 
उस छोटे से राम को फिर से एक 
बार जीने की ।
चाहत है  ... 
तुम्हे उस माँ के सामने गले लगाने की 
जिनके लिए तुम आज तक नहीं निभा
पायी हो अपने वो वादे जो तुमने किये
थे मुझसे प्रेम कर कर 
चाहत है  ... 
बस चाहत है और चाहत पूरी हो 
ये भी तो जरुरी नहीं ना
चाहत है  ... बस 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !