हा देखा है मैंने
वक़्त को मोहोब्बत का
इंतज़ार करते हुए और
कभी कभी जब उसे लगता है
मोहोब्बत बहुत पीछे रह गयी है
उससे तो वो उसका साथ पाने के लिए
धीरे धीरे उसके साथ भी चल पड़ता है
पर मोहोब्बत वक़्त की नियति नहीं
बदल सकती उसके भाग्य में लिखा है
चलना तो उसे चलना पड़ता है पर जब
मोहोब्बत नहीं समझती उस वक़्त की
नज़ाकत को मोहोब्बत पीछे छूट जाती है
और वक़्त आगे निकल जाता है फिर
इसी ज़िन्दगी की भाग दौड़ में उनके
हाथ खाली रह जाते है जो नहीं चल सकते
वक़्त का हाथ थाम
वक़्त को मोहोब्बत का
इंतज़ार करते हुए और
कभी कभी जब उसे लगता है
मोहोब्बत बहुत पीछे रह गयी है
उससे तो वो उसका साथ पाने के लिए
धीरे धीरे उसके साथ भी चल पड़ता है
पर मोहोब्बत वक़्त की नियति नहीं
बदल सकती उसके भाग्य में लिखा है
चलना तो उसे चलना पड़ता है पर जब
मोहोब्बत नहीं समझती उस वक़्त की
नज़ाकत को मोहोब्बत पीछे छूट जाती है
और वक़्त आगे निकल जाता है फिर
इसी ज़िन्दगी की भाग दौड़ में उनके
हाथ खाली रह जाते है जो नहीं चल सकते
वक़्त का हाथ थाम
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