मेरे और तुम्हारे दरमियान
जो ये फासले कायम है
उनको मिटाने की जिम्मेदारी
तुमने अपने कन्धों पर ले रखी है
कई साल बीते पर फासले कम ना हुए
बल्कि फासले और बढ़ते ही गए
उम्मीद दिन ब दिन नाउम्मीद
ही हुई जा रही है इन फासलों को
पाटने के लिए जो एक सेतु बनाया था
हम दोनों ने जिस पर चल कर
हम आते थे एक दूजे के नज़दीक
और बुनते थे भविष्य के सुनहरे सपने
वो सपने भी टूट रहे है एक एक कर
और ये टूटन इस सेतु की नींव को
कर रही है जर्जर दिन ब दिन और
उस सेतु से आना जाना भी
दोनों का लगभग बंद हो चूका है
ख्याल रखना जिस दिन सेतु टुटा
बहा ले जाएगा अपने साथ बचे
टूटे फूटे सपने और उमीदें भी
फिर कुछ ना बचेगा
मेरे और तुम्हारे दरमियान
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