Sunday, 25 February 2018

निशा का प्याला

जिस निशा का प्याला
पूरी की पूरी रात कलानिधि
के निचे पड़ा रहने के बाद भी   
हयात के मधु से नहीं 
भर पाता वो निशा ही 
समझ सकती है मधु 
का सही सही अंशदान
कियोकि उस निशा के 
प्याले से उतर चुकी 
होती है कलानिधि की 
कलई भी तो उस प्याले 
में पड़ी उसकी कल्पना 
कितनी कड़वी हो जाती है 
इस कड़वाहट का स्वाद भी 
वो समझ सकता है जो 
उस निशा को तहे दिल से चाहने
का साहस करता है और उसे
ये भी नहीं पता होता कब तक
उसे निशा के प्याले की
कड़वी हुई कल्पना को 
पीते रहना पड़ेगा 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !