वो आँखें जो देखा
करती थी अपलक तुम्हे
वो आँखें घुटन के दौर से
गुजर कर भूल चुकी है
अपलक देखना वो आँखें जो
सपने सजाया करती थी
हम दोनों के प्रेम के
वो आँखें अब बहाया
करती है उन सपनो
को अश्को के सहारे
वो आँखें जो आतुर थी
दुनिया को छोड़ तुम्हारे
साथ अपनी दुनिया
बसाने को वो आँखें
आज वीरान सी है
वो आँखें जो तुम्हारी
आँखों से होकर समायी थी
तुम्हारी रूह में वही आँखें आज
बेसहारा हो दर दर ढूंढ रही है
तेरी उस रूह को जिसने वादा
किया था उसे सदा खुद में
बसाये रखने का
वो आँखें जो देखा
करती थी अपलक तुम्हे
वो आँखें घुटन के दौर से
गुजर कर भूल चुकी है
अपलक देखना तुम्हे
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